INB एजेंसी रिपोर्ट। प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने वन्यजीव प्रबंधन को सहायता देने के लिए पारंपरिक ज्ञान और यांत्रिक मेधा के अधिक उपयोग का आह्वान किया है। श्री मोदी ने भास्कराचार्य अंतरिक्ष अनुप्रयोग और भूसूचना विज्ञान संस्थान-बीआईएसएजी-एन और भारतीय वन सर्वेक्षण के साथ मिलकर जंगल की आग और वन्यजीव संघर्ष प्रबंधन के लिए यांत्रिक मेधा, मशीन लर्निंग और भू-स्थानिक मानचित्रण के उपयोग पर भी बल दिया।

    प्रधानमंत्री ने विश्व वन्यजीव संरक्षण दिवस पर आज जूनागढ़ जिले के सासन गिर में राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड की 7वीं बैठक की अध्यक्षता की। उन्होंने इन क्षेत्रों में स्थानीय आबादी और ग्रामीणों की भागीदारी के माध्यम से डॉल्फिन संरक्षण पर जागरूकता के महत्व पर बल दिया। श्री मोदी ने डॉल्फिन के आवास क्षेत्रों में स्कूली बच्चों की यात्रा आयोजित करने की भी सलाह दी।

    प्रधानमंत्री ने बैठक में देश में पहली बार किए गए नदी डॉल्फिन अनुमान रिपोर्ट जारी की। रिपोर्ट में कुल छह हजार तीन सौ 27 डॉल्फ़िन का अनुमान लगाया गया है। श्री मोदी ने जूनागढ़ में वन्यजीवों के लिए राष्ट्रीय रेफरल केंद्र की आधारशिला भी रखी। यह वन्यजीव स्वास्थ्य और रोग प्रबंधन से संबंधित विभिन्न पहलुओं के समन्वय के लिए केंद्र के रूप में कार्य करेगा।

प्रधानमंत्री ने इस वर्ष आयोजित किए जाने वाले शेरों के आकलन के 16वें चरण की शुरुआत की घोषणा की। उन्होंने बर्दा वन्यजीव अभयारण्य में शेरों के संरक्षण के लिए सहायता की घोषणा की।

    प्रधानमंत्री ने वन्यजीव संरक्षण में इको-टूरिज्म की भूमिका और वन्यजीव पर्यटन के लिए बेहतर यात्रा और संपर्क की आवश्यकता पर बल दिया। श्री मोदी ने मानव और वन्यजीवों के बीच संघर्षों को अधिक प्रभावी ढंग से रोकने के लिए कोयंबटूर में भारतीय वन्यजीव संस्थान परिसर में उत्कृष्टता केंद्र की स्थापना की घोषणा की। यह संघर्षों को कम करने के लिए क्षेत्र के चिकित्सकों की क्षमता को भी मजबूत करेगा।

उन्होंने अन्य क्षेत्रों में अभयारण्‍य के बाहर बाघों और घड़ियाल संरक्षण परियोजना शुरू करने की योजनाओं की भी शुरुआत की। श्री मोदी ने ग्रेट इंडियन बस्टर्ड के लिए एक राष्ट्रीय कार्य योजना का भी अनावरण किया और स्लॉथ भालू जैसी प्रजातियों के बेहतर संरक्षण के लिए एक कार्य योजना का प्रस्ताव रखा।

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