
नई दिल्ली एजेंसी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ब्रिक्स में आतंकवाद को लेकर घेरा तो विस्तारवाद को लेकर भी उन्होंने सवाल उठाए। रूस के साथ चीन को भी नसीहत दी कि जंग किसी भी मसले का हल नहीं है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रूस के कजान शहर में आयोजित ब्रिक्स समिट में शामिल हुए। ब्रिक्स के मंच से उन्होंने चीन, रूस समेत पूरी दुनिया को नसीहत दी कि जंग किसी भी समस्या का समाधान नहीं है। पीएम मोदी ने कहा- हम युद्ध नहीं, डायलॉग और डिप्लोमेसी का समर्थन करते हैं। पीएम जब संबोधित कर रहे थे, तो उनके अगल-बगल चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भी मौजूद थे। पढ़ लीजिए पीएम मोदी का पूरा भाषण…
पीएम मोदी ने ब्रिक्स सम्मेलन के सत्र में कहा…
आज की बैठक के शानदार आयोजन के लिए मैं राष्ट्रपति पुतिन का हार्दिक आभार व्यक्त करता हूं। मुझे बहुत खुशी है कि आज हम पहली बार एक्सटेंडेड ब्रिक्स फैमिली (extended BRICS Family) के रूप में मिल रहे हैं। ब्रिक्स परिवार से जुड़े सभी नए सदस्यों और साथियों का मैं हार्दिक स्वागत करता हूं। पिछले एक वर्ष में, रूस की सफल अध्यक्षता के लिए मैं राष्ट्रपति पुतिन का अभिनन्दन करता हूं।
फ्रेंड्स, हमारी बैठक एक ऐसे समय में हो रही है जब विश्व युद्धों, संघर्षों, आर्थिक अनिश्चितता, क्लाइमेट चेंज (climate change) आतंकवाद जैसी अनेक चुनौतियों से घिरा हुआ है। विश्व में नार्थ-साउथ और पूर्व-पश्चिम डिवाइड की बात हो रही है। महंगाई की रोकथाम, फूड सिक्योरिटी, एनर्जी सिक्योरिटी, हेल्थ सिक्योरिटी, वॉटर सिक्योरिटी, सभी देशों के लिए प्राथमिकता के विषय हैं। और, टेक्नोलॉजी के युग में, साइबर सिक्योरिटी, डीप फेक, डिसइंफॉर्मेशन जैसी नई चुनौतियां बन गई हैं। ऐसे में, ब्रिक्स को लेकर बहुत अपेक्षाएं हैं।
मेरा मानना है कि एक डाइवर्स (Diverse) और इन्क्लूसिव (Inclusive) प्लेटफॉर्म के रूप में, ब्रिक्स सभी विषयों पर सकारात्मक भूमिका अदा कर सकता है। इस संदर्भ में हमारी अप्रोच पीपुल सेंट्रिक होनी चाहिए। हमें विश्व को यह संदेश देना चाहिए कि ब्रिक्स विभाजनकारी नहीं, जनहितकारी समूह है।
हम युद्ध नहीं, डायलॉग और डिप्लोमेसी का समर्थन करते हैं। और, जिस तरह हमने मिलकर कोविड जैसी चुनौती को परास्त किया, उसी तरह हम भावी पीढ़ी के सुरक्षित, सशक्त और समृद्ध भविष्य के लिए नए अवसर पैदा करने में पूरी तरह सक्षम हैं।
आतंकवाद और टेरर फाइनेंसिंग से निपटने के लिए हम सभी को एक मत हो कर दृढ़ता से सहयोग देना होगा। ऐसे गंभीर विषय पर दोहरे मापदंड के लिए कोई स्थान नहीं है। हमारे देशों के युवाओं में रेडिक्लाइजेशन (Radicalization) को रोकने के लिए हमें सक्रिय रूप से कदम उठाने चाहिए। यूएन में कंप्रहेंसिव कन्वेंशन ऑन इंटरनेशनल टेररिज्म के लंबित मुद्दे पर हमें मिलकर काम करना होगा। उसी तरह साइबर सिक्योरिटी, सेफ और सिक्योर एआई के लिए ग्लोबल रेगुलेशंस के लिए काम करना चाहिए।
फ्रेंड्स, भारत नए देशों का ब्रिक्स पार्टनर के रूप में स्वागत करने के लिए तैयार है। इस संबंध में सभी निर्णय सर्वसम्मति से होने चाहिए और BRICS के फाउंडिंंग मेंबर्स के विचारों का सम्मान करना चाहिए। जोहानसबर्ग समिट में जो गाइडिंग प्रिंसिपल्स, स्टैंडर्ड , क्राइटेरिया और प्रोसिजर्स हमने अपनाया था, उनका पालन सभी सदस्य और पार्टनर देशों को करना चाहिए।
फ्रेंडस, ब्रिक्स ऐसा संगठन है, जो समय के अनुसार खुद को बदलने की इच्छा-शक्ति रखता है। हमें अपना उदाहरण पूरे विश्व के सामने रखते हुए ग्लोबल इंस्टीट्यूशंंस में सुधार के लिए एकमत होकर आवाज़ उठानी चाहिए।
हमें यूएन सिक्योरिटी काउंसिल, मल्टीलेटरल डेवपलमेंट बैंक्स, वर्ल्ड ट्रेड आर्गनाइजेशन जैसे वैश्विक संस्थानों में सुधार के लिए समयबद्ध तरीके से आगे बढ़ना चाहिए। ब्रिक्स के प्रयासों को आगे बढ़ाते हुए हमें ध्यान रखना चाहिए कि इस संगठन की छवि ऐसी न बने कि हम ग्लोबल इंस्टीट्यूशंस में रिफार्म नहीं, बल्कि उन्हें रिप्लेस करना चाहते हैं।
ग्लोबल साउथ के देशों की आशाओं, आकांक्षाओं और अपेक्षाओं को भी ध्यान में रखना चाहिए। वाइस ऑफ ग्लोबल साउथ समिट और अपनी G20 की अध्यक्षता के दौरान भारत ने इन देशों की आवाज को वैश्विक मंच पर रखा है। मुझे खुशी है कि ब्रिक्स के अंतर्गत भी इन प्रयासों को बल मिल रहा है. पिछले वर्ष अफ्रीका के देशों को ब्रिक्स से जोड़ा गया। इस वर्ष भी रूस द्वारा अनेक ग्लोबल साउथ के देशों को आमंत्रित किया गया है।
फ्रेंड्स, विभिन्न प्रकार के विचारों और विचारधाराओं के संगम से बना BRICS समूह, आज विश्व को सकारात्मक सहयोग की दिशा में बढ़ने के लिए प्रेरित कर रहा है। हमारी विविधता, एक दूसरे के प्रति सम्मान, और सर्वसम्मति से आगे बढ़ने की परंपरा, हमारे सहयोग का आधार हैं। हमारी यह गुणवत्ता और ‘ब्रिक्स spirit’ अन्य देशों को भी इस फोरम की ओर आकर्षित कर रही है। मुझे विश्वास है कि आने वाले समय में भी, हम सब मिलकर इस यूनिक प्लेटफार्म को संवाद, सहयोग और समन्वय का उदाहरण बनाएंगे।
इस संदर्भ में, BRICS के फाउंडिंग मेंबर के रूप में, भारत अपने दायित्वों का हमेशा निर्वाहन करता रहेगा।
एक बार फिर, आप सब का बहुत बहुत धन्यवाद..