महाकुंभ (Mahakumbh 2025) में कई सारे अखाड़ों से साधु-संतों का जमावड़ा हो रहा है। कई सारे साधु-संत आकर्षण का केन्द्र बने हुए हैं। किसी के सिर पर 45 किलो का रुद्राक्ष है तो कोई कई सालों से खड़ा हुआ है।
हाइलाइट्स
- 13 जनवरी को शुरू होगा महाकुंभ..
- महाकुंभ में पहुंच रहे साधु-संत..
- संगम क्षेत्र में साधुओं का जमावड़ा..
INB एजेंसी, रिपोर्ट। संगम नगरी (Mahakumbh 2025) में साधु-संतों को जमावड़ा शुरू हो गया है. 13 जनवरी को संगम क्षेत्र में मकर संक्रांति के स्नान के साथ ही महाकुंभ की शुरुआत हो जाएगी. महाकुंभ के लिए प्रयागराज में एक-एक कर अखाड़े का पहुंचना जारी है.
महाकुंभ 2025 के लिए भव्य तैयारी की गई है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) तैयारियों पर बारीकी ने नजर रखे हुए हैं. कई बार सीएम खुद संगम नगरी आ चुके हैं. रेलवे से लेकर तमाम विभागों ने कुंभ के लिए कमर कस ली है.
कुंभ में बड़े पैमाने पर सुरक्षा व्यवस्था के भी इंतजाम किए हैं. कुंभ में साधु-संतों का आना जारी है. संगम नगरी पहुंच रहे इन अखाड़ों में एक से बढ़कर एक हठयोगी हैं. कई साधु-संत तो लोगों के लिए आकर्षण का केन्द्र बने हुए हैं. आइए ऐसे ही कुछ साधुओं के बारे में जानते हैं.

हमेशा हाथ रहता है खड़ा
महाकाल गिरी अद्भुत का बायां हाथ हमेशा खड़ा रहता है। उन्होंने पिछले 9 सालों से अपना बायां हाथ नीचे नहीं किया है। गिरी अद्भुत अपनी बाएं हाथ को धर्म की ध्वजा कहते हैं जो हमेशा से ऊपर की तरफ है। महाकाल गिरी अद्भुत का एक हाथ लकड़ी की तरह अकड़ गया है।
महाकाल गिरी के नाखून ऑक्टोपस की तरह टेढ़े-मेढ़े हो गए और बाएं हाथ में अब जान नहीं बची है। बायां हाथ सख्त लकड़ी की तरह खड़ा है। आवाहन अखाड़े का यह हठयोगी साधु गौ माता के प्रति अपनी श्रद्धा को दिखाने के लिए ऐसा कर रहे हैं।
महाकाल गिरी अद्भुत गो हत्या बंद करने के लिए अभियान चला रहे हैं। हठयोगी ने कहा कि जब तक गौ माता के साथ अत्याचार होता रहेगा तब तक वह यूं ही हठयोग करते रहेंगे। हठयोगी के 9 साल पूरे हो चुके हैं। 12 साल की इनकी सिद्धि होनी है लेकिन अब यह आजीवन ऐसे ही रहेंगे। उन्होंने ठान लिया है कि अब उनका एक हाथ धर्म की ध्वजा जैसी ही रहेगी।
वर्षों बीत गए जमीन से नहीं उठाया पैर
आवाहन अखाड़े के दूसरे हठ योगी खडेश्वर महाराज हैं। उन्होंने अपने पैर को 11 सालों से जमीन से नहीं हटाया। ये साधु 11 सालों से नहीं कभी बैठे और न कभी लेटकर सोए हैं। इस हठ योगी ने पिछले कई सालों से खुद को खड़ा रखा है।
खड़ेश्वर महाराज ने सहारे के लिए टीन की एक ड्रम रखी है। उस पर एक गद्दा रखा है। खड़ेश्वर महाराज धर्म कल्याण के चलते ये हठ योग कर रहे हैं। लगातार खड़े रहने की वजह से खड़ेश्वर महाराज के पैर सूजकर पत्थर जैसे हो चुके हैं। उनके पैर में घाव भी है।
सिलेंडर से ले रहे सांस
आवाहन अखाड़े में एक और साधु हैं जो पिछले चार सालों से सिलेंडर से ही सांस ले रहे हैं। इंद्र गिरी कोरोना के बाद से सिलेंडर के भरोसे ही सांस ले रहे हैं। वो पिछले 4 सालों से सिलेंडर लगे ऑक्सीजन के जरिए ही सांस ले पाते हैं।
इन्द्र योगी के फेफड़े खराब हो चुके हैं इसलिए वो आक्सीजन सिलेंडर से सांस ले रहे हैं। इसके बावजूद वो कुंभ में पहुंचे हैं। बड़े सिलेंडर के साथ नाक में ऑक्सीजन की पाइप लगी है। इंद्रगिरी कहते हैं कि सब ठीक है और इसी तरीके से शाही स्नान भी करेंगे। भगवान का भजन भी करेंगे और जन कल्याण के लिए यह हठयोग भी जारी रहेगा।
डॉक्टर ने कुछ साल पहले जवाब दे दिया था क्योंकि कोरोना के दौरान इनके फेफड़े खत्म हो गए थे। इन्द्रगिरी ऑक्सीजन साथ लेकर चलते हैं। वो ऑक्सीजन की पाइप के जरिए अपने अखाड़े में बैठे हुए हैं।
सिर पर है 45 किलो का रुद्राक्ष
गीतानंद गिरी इन दिनों इस आवाहन अखाड़े के आकर्षक बने हुए हैं। इनके सिर पर 45 किलो का रुद्राक्ष है। 45 किलो का रुद्राक्ष 24 घंटे में तकरीबन 12 घंटे सिर पर मौजूद होता है। गीतानंद गिरी कहते हैं कि जनकल्याण और हिंदुत्व के लिए यह हठयोगी है। यह हठयोग उन्होंने अपने गुरु से सीखा है।
गीतानंद गिरी का कहना है कि उनके माता-पिता ने उनके गुरु को उन्हें बचपन में ही चढ़ा दिया था। जब उनके मां-बाप को कोई संतान पैदा नहीं हो रही था तो वो हमारे गुरु से मिले। जब बच्चे पैदा हुए तो उन्होंने मुझे गुरु को चढ़ा दिया। तब से वह हठयोगी हैं। बचपन से मैं ऐसा ही हूं।