सिवाना। क्षेत्र के पादरू उप तहसील मुख्यालय पर किसानों की विभिन्न मांगों को लेकर 26 दिसंबर को सवेरे 10 बजे होने जा रही महापंचायत। कस्बे के श्रीराम कृष्ण गौशाला में आयोजित होने वाली इस महापंचायत में पादरू, कुण्डल, वेरानाडी, सैला, कांखी, पंऊ, ईटवाया, मिठौडा़, धारणा सहित कई गांवों से जुटेंगे किसान। इस क्षेत्र में पानी प्रसुर मात्रा में होने से किसान परम्परागत खेती के साथ-साथ पिछले एक दशक से अब तकनीकी खेती की ओर बढ़ रहे हैं ऐसे में इस क्षेत्र में अनार बड़ी तादाद में लगाई जा रही है। क्षेत्र में अंजीर, खजूर, नींबू आदि की खेती की जा रही है। ऐसे में यहां तमाम तरह के व्यापारी व एजेंट यथा फल खरीदने वाले, दवाईयां बेचने वाले, ने पौधे बेचने वाले, पौधों के चिकित्सक, पौधों की कटींग करने वाले आदि का जमावड़ा रहता है। ऐसे में खेती में आवक के किसानों की तमाम तरह की समस्याएं भी बढ़ रही है। ऐसे किसान संगठित होकर अपनी समस्याओं से शासन-प्रशासन को आगाह करना चाह रहे हैं। चर्चा है कि इस दौरान क्षेत्र के किसानों की समस्याओं को समय-समय पर उठाने व किसानों हेतु संगठित रह कर काम करने के लिए एक नया किसान संगठन बनाया जा सकता है।

किसानों की ये हो सकती है प्रमुख मांगें..
- अनार से संबंधित समस्याएं
व्यापारियों द्वारा मंडियों में काश्तकारों से 5% कमीशन काटा जा रहा है और प्रति केरेट 2 किलो काट रहे हैं।
- फसल बीमा संबंधित समस्याएं
राज्य के किसानों का उचित लंबित कृषि बीमा क्लेम सरकार द्वारा जारी नहीं किया जा रहा है। फसल खराबे को लेकर सरकार समय पर किसानों को बीमा क्लेम जारी करें।
- बिजली संबंधी समस्याएं
किसानों के ट्रांसफर जलने पर मुफ़्तखोरों द्वारा गरीब किसान की जेब काटी जाती हैं उस पर कार्रवाई हो।
बिजली कटौती पर अंकुश लगे और सही वोल्टेज मिले।
किसानों को कृषि के लिए 6 घंटे व घरेलू 24 घंटे लाइट दी जाए।
किसानों की घरेलू बिजली मुफ़्त हो।
बिजली दर कम करके किसानों को बिल में राहत दी जाए या अन्य कई राज्यों की तरह सरकार किसानों की बिजली फ्री कर दे।
सभी जीएसएस से निकलने वाले बड़े फीडरों को छोटा किया जाए।
सभी जीएसएस में कैपिसिटर लगाए जाए।
विभिन्न छोटी-बड़ी विद्युत लाइनों से प्रभावित किसानों को उनकी जमीनों का उचित मुआवजा दिया जाए।
- भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 दोबारा लागू किया जाए।
इस अधिनियम के तहत, जमीन के अधिग्रहण करने से पहले जमीन के मालिक से मंजूरी लेनी होती है।
ग्रामीण इलाकों में जमीन के अधिग्रहण के लिए बाजार मूल्य का चार गुना और शहरी इलाकों में मार्किट के मूल्य से दोगुनी कीमत अदा करने का प्रावधान था।
इस अधिनियम के अंतर्गत किसानों के हित में और भी प्रावधान थे और भी मांगें थीं।
- किसान-खेत मजदूरों को दी जाए मासिक पेंशन।
किसान देश का अन्नदाता है।
ठंड, गर्मी, वर्षा में तप कर रात-दिन कड़ी मेहनत कर धान की करता है उपज, जिससे होता देश का भरण-पोषण।
इसलिए किसान-खेत मजदूरों को सरकार द्वारा मासिक पेंशन दी जानी चाहिए।
- गांवों में नशीले पदार्थों के कारोबार पर प्रशासन द्वारा कार्रवाई की जाए।
गांवों में नशाखोरों द्वारा गरीब भोले-भाले किसानों को नशे का शिकारी बनाया जाता है साथ ही विभिन्न प्रकार के घातक नशे का कारोबार फल-फूल रहा है जो गांव में शांति व्यवस्था के लिए खतरा है। समय पर शासन-प्रशासन इन सब पर कार्रवाई करे।
- सूअरों आदि से किसानों को मुक्ति मिले
वर्तमान में सूअरों से किसानों की फसल को भयंकर नुकसान हो रहा है जिसके लिए सरकार की ओर से कोई मुआवजा आदि नहीं मिलता। साथ ही सूअरों के हमले से खेत की निगरानी के दौरान कई किसान गंभीर घायल हुए हैं, सुरक्षा की भी सरकार की ओर से कोई व्यवस्था नहीं है। ऐसे में शासन-प्रशासन को आगाह किया जाएगा।
- जमीन, पानी आदि की गुणवत्ता जांच के लिए स्थापित हो परीक्षण लेब।
बालोतरा में 2016 में शुरू हुई मृदा परीक्षण लैब पिछले 5 साल से बंद पड़ी है। तकनीकी विशेषज्ञों की कमी और प्रशासनिक लापरवाही के कारण किसानों को मिट्टी और पानी की जाँच के लिए जोधपुर जैसे दूरस्थ इलाकों में जाना पड़ता है। रिपोर्ट देर से मिलने से उनकी फसलें प्रभावित होती हैं। पादरू क्षेत्र परम्परागत व तकनीकी खेती-किसानी का बड़ा हब बन गया है इसलिए सरकार द्वारा यहां जमीन, पानी आदि की गुणवत्ता जांच के लिए सरकारी परीक्षण लेब शुरू की जाए। ताकि वे खेती के लिए सही उर्वरक और पानी का उपयोग कर सके।