बालोतरा में मनाई राष्ट्रनायक वीर दुर्गादास राठौड़ की 387 वीं जयंती
बालोतरा। राष्ट्र नायक दुर्गादास राठौड़ केवल वीर योद्धा और शौर्य से परिपूर्ण नहीं थे बल्कि चारित्रिक गुणों में उनका कोई सानी नहीं था। एक सामान्य राजपूत परिवार में जन्म लेकर अपनी योग्यता एवं दृढ़ संकल्प की वजह से मारवाड़ के सेनानायक बन अपनी मातृभूमि रक्षा,स्वामी भक्ति और राष्ट्र रक्षा के लिए अपना नाम अमर कर गये। यह उद्गार श्री क्षत्रिय युवक संघ के केंद्रीय कार्यकारी प्रेम सिंह रणधा ने बालोतरा स्थित वीर दुर्गादास राजपूत छात्रावास के प्रांगण में राष्ट्र नायक दुर्गादास राठौड़ की 387 वीं जयंती के अवसर पर मुख्य वक्ता के रूप में कहे।
रणधा ने अपने संबोधन में कहा कि श्री क्षत्रिय युवक संघ वीर दुर्गादास राठौड़ को अपना आदर्श मानता है और आने वाली पीढ़ी और युवकों में राष्ट्र नायक वीर दुर्गादास राठौड़ जैसे गुणों का बीजारोपण करने हेतु प्रतिवर्ष सैकड़ों संस्कार शिविरों का आयोजन करता है जहां विभिन्न माध्यमों और गतिविधियों से बालक बालिकाओं में चरित्र निर्माण के साथ-साथ उनमें संस्कार व नैतिक मूल्यों की प्रतिस्थापना करता है ।हालांकि यह कार्य इतना आसान नहीं है किंतु आवश्यक है।
आज पश्चिम की सभ्यता और संस्कृति को हम तीव्रता से अपनाते जा रहे हैं किंतु उससे हमारे परिवार, समाज और राष्ट्र की भारी क्षति हो रही है और दिनों दिन हम पतन की ओर अग्रसर होते जा रहे हैं संघ पतन के मार्ग से व्यक्ति को बचाकर सतोन्मुखी प्रवृत्ति की ओर मोड़ने का कार्य सन 1946 से कर रहा है इसलिए हमें श्री क्षत्रिय युवक संघ की विचारधारा को अपनाते हुए अपने परिवार सहित अपने आप को संघ से जोड़ना चाहिए।

कार्यक्रम के प्रारंभ में संघ के केंद्रीय कार्यकारी प्रेम सिंह रणधा, सिवाना विधायक हमीर सिंह भायल, पचपदरा विधायक अरुण चौधरी, पूर्व विधायक मदन प्रजापत, प्रधान भगवत सिंह जसोल ने राष्ट्रनायक दुर्गादास राठौड़ की तस्वीर के सामने दीप प्रज्वलित कर पुष्पांजलि अर्पित की। चंदन सिंह चान्देसरा ने राष्ट्र नायक दुर्गादास राठौड़ का जीवन परिचय देते हुए उनके जन्म से लेकर स्वर्गवास तक के जीवन वृतांत की प्रमुख घटनाओं का उल्लेख करते हुए वर्तमान परिपेक्ष में उनके जीवन चरित्र पर चलने का आह्वान किया ।
समारोह में इतिहास विज्ञ एवं प्रखर वक्ता राजवीर सिंह चलकोई ने अपने संबोधन में कहा कि राष्ट्र नायक दुर्गादास राठौड़ के कार्य इतिहास के पन्नों में स्वर्ण अक्षरों से अंकित हैं वे सफल योद्धा ही नहीं बल्कि चतुर राजनीतिज्ञ थे जिन्होंने मारवाड़ मेवाड़ और मराठा साम्राज्य को एकता के नवीन सूत्र में पिरो दिया और उनकी कुशाग्र कूटनीति इतनी तगड़ी थी कि उन्होंने औरंगजेब जैसे शासक के पुत्र अकबर को अपने साथ मिला लिया और इस मैत्री को ताउम्र निभाया। विकट परिस्थितियों में अकबर को दुरस्थ जाना पड़ा किंतु वीर दुर्गादास ने अकबर के परिवार की रक्षा की और उनके पुत्र व पुत्री की इस्लाम धर्म के अनुसार शिक्षा दीक्षा की व्यवस्था कर सच्चे अर्थों में धर्मनिरपेक्षता एवं सभी धर्म के प्रति समभाव का प्रत्यक्ष उदाहरण प्रस्तुत किया। राजवीर सिंह ने कहा कि औरंगजेब जैसे क्रूर सम्राट की नजरों से मारवाड़ महाराजा जसवंत सिंह के पुत्र अजीत सिंह को बचाना आसान काम नहीं था किंतु न केवल उन्होंने छोटे से शिशु को अनेक जतनों से बचा लिया बल्कि एक दिन उन्हें मारवाड़ के राज सिंहासन पर बिठाकर अपना प्रण पूरा किया। राष्ट्र नायक दुर्गादास राठौड़ ने अपनी सूझबूझ से औरंगजेब को दक्षिण भारत की ओर प्रस्थान के लिए मजबूर किया जहां औरंगजेब लगभग 30 साल तक फंसा रहा और यही दक्षिण भारत उसका कब्र साबित हुआ।
कार्यक्रम को संघ की स्वयंसेविका चंद्रिका कंवर काठाड़ी ने भी संबोधित किया कार्यक्रम के प्रारंभ में श्री क्षत्रिय युवक संघ की पद्धति के अनुसार राष्ट्रवाद समाज की रक्षा व कल्याण के लिए वैदिक यज्ञ का आयोजन किया गया इस अवसर पर जसवंत सिंह बुडीवाड़ा ने पूज्य श्री तनसिंह जी द्वारा रचित प्रार्थना “वंदना के गीत” मेरे प्रस्तुत की, सिवाना प्रांत प्रमुख मनोहर सिंह सिणेर ने “भुलाए ना भूले सदियों पुराने” सहगीत का गायन किया।

जयंती समारोह को संबोधित करते हुए सिवाना विधायक हमीर सिंह भायल ने राष्ट्र नायक वीर दुर्गादास राठौड़ को विश्व का सर्वश्रेष्ठ नायक बताया । उन्होंने कहा कि दुर्गादास राठौड़ ने स्वयं के लिए नहीं बल्कि राष्ट्र के लिए अपना सर्वस्व अर्पण कर दिया। दुर्गादास राठौड़ ने जीवन भर कष्ट और संघर्ष झेलते हुए महाराजा जसवंत सिंह के पुत्र अजीत सिंह को मारवाड़ का महाराजा बनाया।
समारोह को संबोधित करते हुए पचपदरा विधायक अरुण चौधरी ने कहा कि ऐसे वीर शिरोमणि किसी एक जाति या समाज के दायरे में सीमित नहीं होते। उनकी महानता और राष्ट्र रक्षा के प्रण ने उन्हें समस्त राष्ट्र का दैनिक सितारा बना दिया। औरंगजेब ने उन पर अनेक लालच के फंदे फेंक अपनी ओर मिलने के लिए साम दाम दंड भेद का सहारा लिया किंतु वे चरित्र के इतने धनी थे कि कभी डिगे नहीं। ऐसे व्यक्तित्व अपने लिये नहीं बल्कि औरों के लिए जीते हैं और जो औरों के लिए जीते हैं वह इतिहास में अपना नाम अमर कर जाते हैं।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पचपदरा के पूर्व विधायक मदन प्रजापत ने कहा कि राष्ट्र नायक वीर दुर्गादास राठौड़ सच्चे अर्थों में हिंदुस्तान के रक्षक थे। उन्होंने हिंदुस्तान के बादशाह औरंगजेब को नाकों चने चबा दिए। उनका जीवन संघर्ष का पर्याय है वे युद्ध व संघर्ष में इतने व्यस्त रहते थे कि उन्हें घोड़े की पीठ पर ही भाले से रोटी सेकनी पड़ती थी इतना संघर्ष हर किसी के बलबूते में नहीं है एक तरफ हिंदुस्तान की शक्ति थी तो दूसरी तरफ राष्ट्र नायक दुर्गा दास राठौड़ के पास मुट्ठी भर लोग थे जिन्होंने संघर्ष कर अंत में हिंदुस्तान के बादशाह से विजय प्राप्त की ऐसे इतिहास पुरुष से हमें सीख लेनी चाहिए।

समारोह में संभाग प्रमुख मूल सिंह काठाडी, प्रधान भगवत सिंह जसोल, पूर्व प्रधान हरि सिंह उमरालई, भवानी सिंह टापरा, राजेंद्र करण कनाना, देवेंद्र करण कनाना, मूलदान आशिया, पूर्व चेयरमैन पारसमल भंडारी, अतिरिक्त जिला शिक्षा अधिकारी सुरेश सितारा, बालोतरा प्रांत प्रमुख गोविन्द सिंह गुंगङी, चंपालाल प्रजापत, जीवराज सिंह चारण, बायतु प्रांत प्रमुख मूल सिंह चान्देसरा, चित्रा श्रीमाली, राजेश्वरी खत्री, धनसिह कालेवा, जेतमाल सिंह विशाला, पदम सिंह भाऊङा, चन्दन सिंह थोब, सुमेर सिंह कालेवा, कुन्दन सिंह तिलवाड़ा, डुंगर सिंह चान्देसरा, हनुमत सिंह नोसर, शोभ सिंह तिलवाड़ा, शोभ सिंह असाडा, गणपत सिंह असाडा, धर्मेंद्र करण कनाना ,चैनकरण कनाना ,वीरेंद्र सिंह किटनोद, सूरजभान सिंह दाखां, घनश्याम सिंह शेखावत, जगमाल सिंह थोब, मोती सिंह पाटौदी, वीरम सिंह थोब, गणपत सिंह भाटी, हिन्दू सिंह सिणेर, उम्मेदसिंह अकदड़ा, सवाई सिंह साथुनी, स्वरूप सिंह जाजवा, महेंद्र सिंह रतरेडी, मनोहर सिंह कानोड, जोगेंद्र सिंह सोढ़ा, खेत सिंह असाडा, उम्मेदसिंह कानोड, प्रेम सिंह बुड़ीवाड़ा, भवानी सिंह जागसा, नरपत सिंह चिड़िया सहित बालोतरा जिले के गांव-गांव और ढाणी-ढाणी से सैकड़ों की संख्या में लोग उपस्थित हुए ।