बालोतरा। पादरू उप तहसील मुख्यालय स्थित जैतमाल राजपूत छात्रावास परिसर में 10 जून मंगलवार शाम 6:15 बजे श्री क्षत्रिय युवक संघ के चतुर्थ संघ प्रमुख व संरक्षक भगवान सिंह रोलसाहबसर को श्रद्धांजलि सभा आयोजित कर सर्व समाज ने दी भावपूर्ण श्रद्धांजलि। कार्यक्रम की शुरुआत सर्व प्रथम संभाग प्रमुख मूलसिंह काठाड़ी ने भगवान सिंह रोलसाहबसर की तस्वीर के समक्ष दीप प्रज्जवलित कर की तदुपरांत उपस्थित सभी ने भगवान सिंह रोलसाहबसर की तस्वीर के समक्ष पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें याद किया। स्मरण रहे कि गत 24 मई को सवाई मानसिंह अस्पताल जयपुर में स्वास्थ्य कारणों से उन्हें एड्मिट किया गया था उपचार के दौरान 5 जून को रात 10:15 बजे रोलसाहबसर का स्वर्गवास हो गया। रोलसाहबसर के स्वर्गवास की खबर से पूरे देश में शोक की लहर फैल गई, सुबह होते-होते कई राजनीतिक व सामाजिक नेता एवं बड़े उद्योगपति आदि संघ शक्ति कार्यालय पहुंचने लगे। देशभर में संघ से जुड़े काफी स्वयं सेवक जयपुर पहुंच गए। देर रात को देहावसान होने के कारण दूर-दराज क्षेत्र में बैठे स्वयं सेवकों तक सूचना नहीं पहुंच पाने से कई स्वयं सेवकों ने घर बैठे श्री चरणों के लिए प्रार्थना की। 6 जून दोपहर बाद अंतिम संस्कार किया गया।

रोलसाहबसर का जन्म 2 फरवरी 1944 को सीकर जिले की फतेहपुर तहसील के रोलसाहबसर गांव में हुआ। आप पिता मेघसिंह एवं माता गोम कंवर की पांचवीं संतान थे। आपके जन्म के कुछ दिनों पूर्व ही पिताजी का देहावसान हो गया था। सिंह रोलसाहबसर बाल्यावस्था में विद्यार्थी जीवन के दौरान ही तनसिंह के संपर्क में आए तब से इतने प्रभावित हुए कि उनके होकर रह गए और अपना पूरा जीवन श्री क्षत्रिय युवक संघ को समर्पित कर दिया। आपने संघ जीवन की यात्रा में 1989 से 2021 तक संघ प्रमुख का दायित्व गहनता से निभाया, अपने कार्यकाल में संघ में बालिका शिविर, दम्पति शिविर, ब्रह्मचारी शिविर, विभिन्न व्यवसायिक व कार्मिक वर्गों के शिविर, अन्य जाति धर्म के सम्मिलित सद्भावना कार्यक्रम आदि आयोजित कर संघ कार्य में अभूतपूर्व विस्तार किया। आपके कार्यकाल के दौरान संघ देश-विदेश तक प्रसारित हुआ। आपने सूदूर क्षेत्र तक संघ की बात को पहुंचाने का श्रम किया।

श्रद्धांजलि सभा के संबोधन में संभाग प्रमुख मूलसिंह काठाड़ी ने बताया कि रोलसाहबसर का पूरा जीवन एक निष्ठ तपस्वी ऋषि की भांति रहा। साथ ही बताया कि कर्मशीलता इतनी प्रगाढ़ थी कि अत्यंत स्वास्थ्य ख़राब होने के बावजूद भी इस भीषण गर्मी में 18 मई को श्री क्षत्रिय युवक संघ द्वारा आयोजित उच्च प्रशिक्षण शिविर उदयपुर में शामिल हुए और शिविर के दौरान 24 मई को ज्यादा स्वास्थ्य ख़राब होने के बावजूद प्रार्थना स्थल पर पहुंचे।वो अपने जीवन के पल-प्रतिपल को संघ में अर्पण करने की चाहत रखते थे। उन्होंने बताया कि रोलसाहबसर का पूरा जीवन हमें सदैव प्रेरणा देता रहेगा। वो शरीर रूप से हमारे बीच नहीं हैं लेकिन ईश्वरीय अंश के रूप में हमेशा हमारे साथ रहेंगे।

पंचायत समिति सदस्य महीराम विश्नोई ने बताया कि आज पूरा देश रोलसाहबसर को श्रद्धांजलि दे कर याद कर रहा है अपने मुख्यमंत्री से लेकर राज्यपाल, पूर्व मुख्यमंत्री सहित सभी पार्टियों के बड़े-छोटे नेता आदि सब उन्हें याद कर श्रद्धांजलि दे रहे हैं। भगवान सिंह रोलसाहबसर का जीवन हम सब के लिए प्रेरक हैं। उनके बताए मार्ग पर चल कर मानवता का कल्याण संभव है। उन्होंने युवाओं एवं बालिकाओं के लिए जो कार्य किया वो सबके लिए आदर्श है। रोलसाहबसर शरीर छोड़ कर चले गए पर स्वर्ग से भी उनकी आत्मा हमें इस कार्य को करने की आशिष देती रहेगी।

शिक्षाविद् रणछोड़ राम प्रजापत ने बताया कि वे इससे पहले संघ के एक ओर जयंती कार्यक्रम में शामिल हुए थे उसके बाद ये दूसरा कार्यक्रम है जहां ऐसा देखकर कर शुकून महसूस हुआ कि यहां हर जाति धर्म के लोग यहां तक कि मुस्लिम भी इस कार्यक्रम में मौजूद हैं ऐसा अमूमन कम ही देखने को मिलता है। संगठन भी बहुत देखे पर ऐसा संगठन जो सभी को साथ लेकर चलने बात करता हो ऐसे कम ही मिलते हैं। भगवान सिंह रोलसाहबसर केवल क्षत्रिय तक सीमित नहीं थे उन्होंने पूरी मानवता के लिए कार्य किया पूरे जीवन हर जाति धर्म को साथ लेकर चले। इस कार्यक्रम में एक बालिका बोल रही थी उसमें जो अनुभव शेयर किया वो सब संघ के शिविरों का शिक्षण हैं।

श्रद्धांजलि सभा के संबोधन में संघ की स्वयंसेविका हिमाक्षी कंवर पादरू ने बताया कि बाबोसा (रोलसाहबसर) से प्रथम बार मेरा मिलन दर्शन दिल्ली JLN स्टेडियम में तनसिंह जन्म शताब्दी समारोह कार्यक्रम के दौरान हुआ था और तब मैंने अनुभव किया कि आपने कैसे अपना सम्पूर्ण जीवन संघ के प्रति समर्पित कर दिया, कैसे आपने संघ को राजस्थान से लेकर गुजरात, महाराष्ट्र, दिल्ली, हरियाणा, मध्यप्रदेश और दक्षिण भारत के सुदूर प्रदेशों तक पहुँचाया।
आपने एक क्षत्राणी को क्षत्रिय से श्रेष्ठ बताया तथा उसके महत्व को समझते हुए सन् 1995 मे मातृशक्ति प्रशिक्षण शिविर लगाने की शुरुआत की। आपके इस संकल्प से संघ को मजबूती मिली।
आपकी एक बात हम सब के हृदय में बस गई है “कि दीप की विशेषता इसी में है कि वो बुझने से पहले हजारों दीपक जला दे ” आपने तो अपने जीवन में अपने इन वचनों का पालन कर लिया । अब हम भी वो दीप बनना चाहेंगे जो आपके विचार, आपके संस्कार और आपके बताए मार्ग का अनुसरण कर साधक के रूप में साधना पथ पर निरंतरता से जीवन में आगे बढ़ सके। सच्ची श्रद्धांजलि इसी में होगी कि हम आपके अनुशासन और संस्कारों को अपने जीवन में अपनाए।

श्रद्धांजलि कार्यक्रम में संभाग प्रमुख मूलसिंह काठाड़ी, पूर्व सरपंच भोपाल सिंह पादरू, समाजसेवी कमरुद्दीन खान, बाबुसिंह पंऊ, रणछोड़ राम प्रजापत, प्रेम सिंह कांखी, मांगु खान, ओमसिंह मिठौड़ा, हबीब खान पादरू, वगतावर सिंह पादरू, कालुसिंह भाटा, नरपतसिंह मिठौड़ा, लाख सिंह कांखी, माधुसिंह दाखा, जालम सिंह सणपा, महेंद्र सिंह सिणेर, गणपतसिंह पादरू, जितेन्द्र सिंह पंऊ, गोपाल सिंह पादरू सहित कई संघ के सक्रिय स्वयंसेवक एवं सहयोगी श्रद्धांजलि अर्पित करने सम्मिलित हुए।

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